Session App: 10 नवंबर 2025 दिल्ली ब्लास्ट जिसे कोई नहीं भूल सकता है। देखा जाए तो इस हमले का जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है। कई नए-नए खुलासे होते जा रहे हैं। जी हां, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, इस ब्लास्ट में कार चला रहे आतंकी डॉक्टर उमर नबी को लेकर यह बात सामने आई है कि वह मैसेजिंग के लिए कोई नॉर्मल ऐप नहीं बल्कि एक खास मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर रहा था। जिस मोबाइल ऐप का नाम ‘सेशन’ है। बता दें, इस ऐप का इस्तेमाल प्राइवेट चैटिंग के लिए किया जाता है। तो चलिए जानते हैं इस ऐप के बारे में विस्तार से…
क्या है Session App?
जैसे कि मैने आपको ऊपर बताया कि, Session App एक प्राइवेट मैसेंजर प्लेटफॉर्म है। यह ऐप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। प्ले स्टोर में इस ऐप के बारे में बताया गया है कि यह एक प्राइवेट मैसेंजर प्लेटफॉर्म है, जिसे यूनिक नेटवर्क के लिए प्रयोग किया जाता है। वहीं, इस ऐप डेवलपर्स का यह कहना है कि इस ऐप का कोई सेंट्रल सर्वर नहीं होता है। ऐसे में यह न तो यूजर्स का डेटा सेव करता है, जिससे डेटा लीक होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।
Session App: बिना नंबर और ईमेल के बन जाता है अकाउंट

हैरानी की बात यह है कि, Session App में अकाउंट बनाने के लिए आपको किसी भी तरह का सख्त नियम पालन करने की जरूरत नहीं है। ऐसे में यूजर्स बिना फोन नंबर या ईमेल आईडी के इस ऐप को आसानी से चला सकता हैं। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली ब्लास्ट के आतंकी इसी ऐप का इस्तेमाल कर रहे थे। फिलहाल मामले की जांच अभी चल रही है। ऐसे में इस वक्त ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है।
Session App: NIA की विशेष टीम कर रही है जांच
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली ब्लास्ट की जांच का जिम्मा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनआईए को दिया है। देखा जाए तो, इसके लिए जांच एजेंसी ने 10 अधिकारियों की एक विशेष टीम भी तैयार की है। 10 सदस्यीय इस विशेष टीम का नेतृत्व के एडीजी विजय सखारे करेंगे। इस टीम में एक आइजी, दो डीआइजी, तीन एसपी और बाकी डीएसपी स्तर के अधिकारी शामिल हैं। दिल्ली पुलिस सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसियां 1,000 से अधिक सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही हैं।
लेखक की राय
दिल्ली ब्लास्ट की जांच में Session App का सामने आना एक गंभीर और चौंकाने वाला खुलासा है। यह घटना बताती है कि आतंकवादी अब टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग कर रहे हैं और सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी हो रही हैं। बिना नंबर या ईमेल के काम करने वाले ऐसे ऐप्स निगरानी से बच निकलने का रास्ता बन रहे हैं। फिलहाल उम्मीद यही है कि NIA की टीम इस मामले की तह तक जाकर सच्चाई सामने लाएगी।
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