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ऑनलाइन खतरे अब होंगे कम! Google का नया AI भारत में शुरू

By Afreen Bano

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भारत में ऑनलाइन स्कैम, डिजिटल अरेस्ट, स्क्रीन-शेयरिंग फ्रॉड और वॉइस क्लोनिंग जैसे खतरे तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे माहौल में Google ने स्पष्ट किया है कि वह भारत में सुरक्षित और भरोसेमंद AI बनाने पर ध्यान दे रहा है। यह AI खास तौर पर कमजोर और जोखिम में रहने वाले यूजर्स की सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है।

भारत में बढ़ते डिजिटल स्कैम: क्यों जरूरी है Safe AI?

भारत में लाखों नए इंटरनेट यूजर्स हर महीने ऑनलाइन आ रहे हैं। इनमें बुजुर्ग, छात्र, ग्रामीण यूजर्स और पहली बार स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले लोग शामिल हैं। यही वे लोग हैं जो डिजिटल स्कैमर्स के सबसे आसान निशाने बनते हैं। Google का कहना है कि सुरक्षित AI आने वाले डिजिटल भारत की बुनियाद है। AI को ऐसा होना चाहिए जो पहले खतरे को पहचाने और फिर यूजर को गलत फैसलों से बचाए।

Pixel फोन में AI आधारित Scam Detection फीचर

Google Pixel डिवाइस पर on-device AI यानि Gemini Nano के जरिए एक स्मार्ट कॉल स्कैम डिटेक्शन फीचर आ रहा है। यह आपको फोन पर आ रहे संदिग्ध कॉल पैटर्न को पहचानकर तुरंत अलर्ट देगा।

खास बात यह है कि यह पूरा प्रोसेस फोन पर ही होता है। कोई कॉल रिकॉर्डिंग या डेटा बाहर नहीं भेजा जाता। इससे साफ़ है कि अपनी सुरक्षा के साथ-साथ प्राइवेसी भी मजबूत रहेगी।

स्क्रीन- शेयरिंग के दौरान स्मार्ट अलर्ट

बहुत से फ्रॉड तब होते हैं जब कोई यूजर स्क्रीन-शेयरिंग ऐप्स के जरिए अनजाने में अपनी बैंकिंग जानकारी दिखा देता है।
इसी खतरे को ध्यान में रखते हुए Google एक पायलट फीचर ला रहा है जो स्क्रीन शेयरिंग के बीच अगर आप पेमेंट ऐप खोलें तो आपको तुरंत चेतावनी देगा।

इसके साथ-साथ आपको एक-टैप सुरक्षित एग्ज़िट का विकल्प मिलेगा ताकि आप बिना घबराए तुरंत ऐप बंद कर सकें।

डीपफेक और वॉइस क्लोनिंग रोकने के लिए SynthID

भारत में AI से बनने वाले डीप फ़ेक्स का खतरा बढ़ रहा है। चुनाव, सोशल मीडिया और डिजिटल पेमेंट के दौर में फेक ऑडियो-वीडियो से बड़ा नुकसान हो सकता है।

Google ने अपनी SynthID टेक्नोलॉजी को भारत में अब मजबूत करने की घोषणा की है। इससे AI से बने कंटेंट की पहचान आसान होगी। भारतीय मीडिया संस्थानों जैसे PTI, India Today, Jagran आदि को भी यह तकनीक उपलब्ध कराई जाएगी ताकि वे फर्जी कंटेंट की जल्दी पहचान कर सकें।

ऐप लॉगिन और ऑनलाइन पहचान को सुरक्षित करने की पहल

Google अब SIM पर आधारित वेरिफिकेशन भी टेस्ट कर रहा है, जो पारंपरिक OTP से ज्यादा सुरक्षित है। इसका फायदा यह होगा कि हैकर्स सिर्फ एक OTP हासिल करके आपका अकाउंट नहीं चुरा पाएंगे।

भारत में जहां फिशिंग और फर्जी लिंक के जरिए अकाउंट ओवरटेकिंग तेजी से बढ़ रही है वहां पर यह फीचर बहुत मदद करेगा।

Google

AI का इस्तेमाल Cyber Security में: CodeMender का लॉन्च

गूगल ने CodeMender नाम का AI सुरक्षा एजेंट तैयार किया है। यह खुद उन कमजोरियों को खोजता है जिनका हैकर्स फायदा उठा सकते हैं, और फिर खुद ही सुरक्षा पॅच सुझाता है। इससे कंपनियों और डेवलपर्स को साइबर हमलों से निपटने में बहुत मदद मिलने वाली है।

भारत के लिए Local, Inclusive और Responsible AI मॉडल

IIT Madras और CeRAI के साथ मिलकर गूगल ऐसे AI बेंचमार्क तैयार कर रहा है जो भारत जैसे विविधतापूर्ण देशों की जरूरतों के मुताबिक हों।

इसका मतलब है कि भारतीय भाषाएं, स्थानीय संस्कृतियां, सोशल-टेक्नोलॉजी गैप और यूजर व्यवहार इन सबको ध्यान में रखकर AI मॉडल बनाए जाएंगे। यह कदम भारत को AI Safety और AI Governance Hub बनाने की दिशा में बड़ा योगदान देगा।

डिजिटल सेफ्टी ट्रेनिंग और जागरूकता कार्यक्रम

AI सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, एक सोशल जिम्मेदारी भी है। इसी सोच के साथ गूगल DigiKavach, LEO और Super Searchers जैसे कार्यक्रम चला रहा है, जिनका लक्ष्य आम लोगों को डिजिटल सुरक्षा सिखाना है। इसके अलावा Google.org ने साइबरपीस फाउंडेशन को भी फंड दिया है ताकि और सुरक्षित AI टूल्स विकसित किए जा सकें।

मेरी राय

Google का सुरक्षित और भरोसे वाला AI मिशन से साफ़ है कि AI का भविष्य सिर्फ स्मार्ट नहीं बल्कि सुरक्षित भी होना चाहिए। भारत जैसे बड़े और तेजी से डिजिटल बनते देश के लिए यह पहल बेहद महत्वपूर्ण है। आने वाले महीनों में जैसे-जैसे ये फीचर्स रोल आउट होंगे, भारत में ऑनलाइन सुरक्षा और मजबूत होगी।

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Afreen Bano

मैं एक अनुभवी कंटेंट राइटर और मास कम्युनिकेशन में पोस्टग्रेजुएट हूँ। मुझे टेक्नोलॉजी, खासकर स्मार्टवॉच और लैपटॉप जैसे गैजेट्स पर लिखना पसंद है। मेरा उद्देश्य है कि टेक्नोलॉजी से जुड़ी जटिल जानकारियों को आसान, स्पष्ट और उपयोगी भाषा में आम पाठकों तक पहुँचाया जाए। लेखन के माध्यम से मैं तकनीक को समझने और अपनाने की प्रक्रिया को सरल और रोचक बनाना चाहती हूँ।

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