भारत सरकार ने हाल ही में देश में बिकने वाले सभी स्मार्टफोन्स में Sanchar Saathi ऐप को प्री‑इंस्टॉल करने का आदेश दिया है। इस कदम ने जहां एक ओर उम्मीदें जगाई हैं, वहीं दूसरी ओर यह निजता और सोशल इनोवेशन के संदर्भ में कई गंभीर सवाल भी खड़े कर रहा है। कुछ विशेषज्ञ इस ऐप को यूज़र्स के लिए एक सुरक्षा उपाय मानते हैं, जबकि अन्य इसकी गोपनीयता के उल्लंघन और इसके संभावित दुष्प्रभावों को लेकर चिंतित हैं। आइए समझते हैं इस ऐप की ज़रूरत, इसके दावे, और वो किन चुनौतियों से जूंझ रहा है।
Sanchar Saathi ऐप – क्या है और क्यों लाया गया?
इस ऐप का मकसद उन फ़ोन‑धोखाधड़ियों, चोरी या नकली हैंडसेट्स और दुरुपयोग को कम करना है, जो भारत में पिछले काफी समय से बढ़ते जा रहे हैं। इसके ज़रिए, यूजर यह देख सकते हैं कि उनका मोबाइल असली है या ब्लैकलिस्टेड है। खोया या चोरी हुआ फोन ब्लॉक कर सकते हैं और दूसरी तरफ़, यदि किसी संदिग्ध नंबर/सिम या किसी धोखाधड़ी का पता चले, वह रिपोर्ट कर सकते हैं।
सरकार का कहना है कि ये कदम उन हजारों लोगों के लिए सुरक्षा कवच बनेगा, जो नकली या चोरी किये गए हैंडसेट खरीद लेते हैं या जिनका डाटा या कनेक्शन गलत तरीके से इस्तेमाल हो रहा होता है।
सरकार का आदेश – कैसे लागू होगा?
28 नवम्बर 2025 को, दूरसंचार मंत्रालय ने सभी मोबाइल फोन निर्माता और आयातकों को निर्देश दिया कि हर नया फोन भारत में बेचने से पहले उसमें Sanchar Saathi ऐप प्री‑इंस्टॉल हो। इसके साथ यह भी निर्देश है कि फोन सेट‑अप के समय यह ऐप दिखे और इसके फंक्शन्स बंद या छुपाए न जाएँ।
जिन फोन को पहले से बेचा जा चुका है या मार्केट में हैं, उनके लिए कंपनियों को सॉफ़्टवेयर अपडेट (OTA update) के ज़रिए ऐप इंस्टॉल करने की सलाह दी गई है। कंपनियों को 90 दिन में यह सुनिश्चित करना है कि नए फोन में ऐप इंस्टॉल हो, और 120 दिन में अनुपालन की रिपोर्ट सरकार को देनी होगी।
Sanchar Saathi से ये फायदे हो सकते हैं:
हैंडसेट्स पर विराम:
नकली या ब्लैक‑लिस्टेड IMEI वाले फोन बेचने या खरीदने पर नज़र रखने में मदद करता है।
फोन चोरी या खोने की स्थिति में राहत:
चोरी या खोए फोन को ब्लॉक या ट्रेस करने की सुविधा जिससे चोरी की घटनाएं और इस तरह के फ़ोन बाजार का दायरा सीमित हो सकता है।
फ्रॉड कॉल/ मैसेज/ सिम‑दुरुपयोग से बचाव:
संदिग्ध कॉल/मैसेज, स्पैम, धोखाधड़ी वाली सिम या नंबर इस्तेमाल होने की स्थिति में रिपोर्ट करने की सुविधा मिलेगी।
उपभोक्ता रक्षा और पारदर्शिता बढ़ाना:
अगर सिस्टम ठीक से काम करे, तो खरीदने वाले को यह सुनिश्चित करने का तरीका मिलेगा कि उनके पास असली और वैध फोन है। इससे धोखाधड़ी की संभावना कम होगी।

लेकिन ये चुनौतियाँ और प्रश्न भी हैं-
Sanchar Saathi: निजता पर खतरा
ऐप को कॉल लॉग, मैसेज, कैमरा, डिवाइस‑स्टेट, नोटिफिकेशन आदि जैसे कई अनुमति चाहिए होती हैं। इससे सवाल उठते हैं कि क्या सरकार या ऐप ज़रूरत से ज्यादा डेटा एक्सेस करेगा और क्या ये डेटा सुरक्षित रहेगा?
कौन तय करेगा हानिकारक इरादों को?
जैसा कि विशेषज्ञों ने कहा है ऐप तो फोन की जड़ों की वैधता देख सकता है, लेकिन अगर सिम और फोन दोनों वैध हैं और धोखेबाज़ी का काम सोशल इंजीनियरिंग जैसे OTP‑स्कैम, पहचान चोरी के जरिए हो रहा हो तो ऐप उसे नहीं रोक सकता।
कहाँ तक इस्तेमाल और ज़िम्मेदारी तय होगी- पारदर्शिता की कमी:
अगर ऐप अनइंस्टॉल करना है, तो क्या वह सच में संभव होगा? या क्या यह सिस्टम लेवल बना दिया जाएगा,जिसकी आपका नियंत्रण कम हो जाएगा?
फ्रॉड की प्रकृति अब बदल चुकी है:
सिम‑स्वैप, फ़िशिंग, मैलवेयर, वर्चुअल नंबर आदि अब धोखाधड़ी सिर्फ फोन या सिम से नहीं होती। ऐसे में सिर्फ IMEI चेक पर्याप्त नही बल्कि बड़े साइबर सुरक्षा तंत्र की ज़रूरत है।
मेरी राय
Sanchar Saathi ऐप एक सकारात्मक शुरुआत हो सकती है उन चुनौतियों से निपटने के लिए जो भारत में फोन‑चोरी, नकली हैंडसेट्स, और सिम के ग़लत उपयोग की वजह से हैं। अगर यह ठीक से लागू हो जहाँ सही तरीके से अपडेट, पारदर्शी डेटा‑पॉलिसी, और यूजर की सहमति के साथ तो यह लोगों को धोखा और फ़ोन‑तस्करी से बचा सकती है।
लेकिन याद रखें तकनीकी सुधार ही पर्याप्त नहीं होते। साइबर सुरक्षा की असली लड़ाई में शिक्षा, जागरूकता और व्यवस्थित निगरानी जरूरी है।
कुल मिलाकर, Sanchar Saathi पहली सुरक्षा की दीवार है लेकिन दीवार के पीछे की बाकी संरचनाएँ अभी बननी बाकी हैं।
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