भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 87 गैर-कानूनी Loan Apps पर तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। इन ऐप्स पर डेटा चोरी, फ्रॉड, धमकी, और अवैध वसूली जैसी गंभीर शिकायतें दर्ज हो रही थीं। सरकार ने यह कार्रवाई IT Act की धारा 69A के तहत की है।
क्यों बैन किए गए ये Loan Apps?
इन ऐप्स के खिलाफ हजारों उपयोगकर्ताओं ने शिकायत की थी कि वे बिना लाइसेंस लोन ऑफर कर रहे थे, यूज़र्स का डेटा चोरी कर रहे थे और वसूली के लिए धमकी, गाली-गलौज और मानसिक प्रताड़ना का उपयोग कर रहे थे। सरकार को मिली रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया कि कई ऐप्स अंतरराष्ट्रीय सर्वर पर चल रहे थे और भारत के कानूनों का पालन नहीं करते थे।
Loan Apps: डेटा सुरक्षा को लेकर बढ़ी चिंता
सरकार और साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने पाया कि कुछ ऐप्स फोन में मौजूद कॉन्टैक्ट लिस्ट, गैलरी, मैसेजेस का एक्सेस लेकर बाद में उगाही के लिए उनका दुरुपयोग कर रहे थे। यह डेटा मिसयूज उपभोक्ताओं की प्राइवेसी के लिए बड़ा खतरा बन गया था।
मंत्रालय ने क्या कदम उठाए?
MeitY ने इन सभी 87 ऐप्स को प्ले स्टोर, ऐप स्टोर और भारत के इंटरनेट नेटवर्क से ब्लॉक करने का निर्देश दिया है।साथ ही, सरकार ने यह साफ किया है कि केवल वही ऐप्स काम कर सकते हैं जो RBI से लाइसेंस लेकर वैध रूप से डिजिटल लोन प्रदान करते हैं।
Loan Apps: ऑनलाइन लोन लेने वाले यूज़र्स को क्या फायदा?
इस कार्रवाई के बाद यूज़र को कई लाभ होंगे:
• फर्जी और धोखाधड़ी वाले ऐप्स से छुटकारा मिलेगा।
• डेटा चोरी की संभावना कम होगी।
• वसूली में होने वाली धमकी और प्रताड़ना पर रोक लगेगी।
• केवल भरोसेमंद और लाइसेंसी ऐप्स ही उपलब्ध होंगे।

लेकिन खतरा अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं
कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि फर्जी ऐप्स नए नाम से वापस भी आ सकते हैं। इसलिए यूज़र्स को सतर्क रहना जरूरी है। किसी भी लोन ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसकी RBI रजिस्ट्री जांचें। ज़रूरत से ज्यादा परमिशन देने से बचें। किसी भी धमकी या डेटा मिसयूज का तुरंत साइबर हेल्पलाइन में शिकायत करें।
मेरी राय
सरकार का यह कदम डिजिटल फाइनेंस के लिए बेहद जरूरी था। अवैध Loan Apps ने पिछले कुछ वर्षों में लाखों लोगों को परेशान किया और उनकी मानसिक व आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंचाया।
लेकिन असल बदलाव तभी आएगा जब यूज़र जागरूक होंगे, कंपनियों पर निगरानी और सख्त होगी, और डिजिटल लोन सेक्टर को बेहतर तरीके से रेगुलेट किया जाएगा। यह सिर्फ एक शुरुआत है, सुरक्षित डिजिटल भारत के लिए अभी लंबा रास्ता बाकी है।
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