भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ताज़ा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जनरेटिव आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (GenAI) भारत के बैंकिंग ऑपरेशंस को 46% तक बेहतर बना सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह तकनीक ग्राहक अनुभव को और तेज़, पर्सनलाइज़्ड और सस्ता बनाएगी।
बैंकिंग सेक्टर में क्या होंगे AI के फायदे?
RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, जनरेटिव AI बैंकिंग सेक्टर में कई बड़े बदलाव ला सकती है। सबसे पहले यह ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाते हुए पर्सनलाइज़्ड सेवाएं और 24×7 सपोर्ट उपलब्ध कराएगी।
रूटीन कामों के ऑटोमेशन से ऑपरेशनल कॉस्ट में कमी आएगी, जिससे बैंक अपने रिसोर्सेज का बेहतर इस्तेमाल कर पाएंगे। साथ ही, AI-आधारित नए प्रोडक्ट्स और सेवाओं के जरिए रेवेन्यू ग्रोथ की संभावना भी बढ़ेगी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नॉन-ट्रेडिशनल डेटा, जैसे बिजली बिल, मोबाइल यूसेज पैटर्न या GST फाइलिंग का इस्तेमाल कर क्रेडिट स्कोरिंग की जा सकेगी, जिससे उन लोगों तक भी क्रेडिट पहुंचाया जा सकेगा जो अभी तक फॉर्मल बैंकिंग सिस्टम से दूर हैं।
इसके अलावा, एडवांस्ड एनालिटिक्स के ज़रिए रिस्क मैनेजमेंट को और मज़बूत बनाया जा सकेगा, जिससे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस धोखाधड़ी पकड़ने और जोखिम कम करने में भी मदद करेगा।
AI से क्रेडिट एक्सेस का दायरा बढ़ेगा
AI अब पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम के बाहर रहने वाले लोगों को भी लोन दिलाने में मदद करेगा। आमतौर पर बैंक लोन देने के लिए पुराने बैंक रिकॉर्ड और क्रेडिट हिस्ट्री देखते हैं। लेकिन जिनके पास यह हिस्ट्री नहीं होती, उनके लिए लोन पाना मुश्किल हो जाता है।

अब AI बिजली-पानी के बिल, मोबाइल का इस्तेमाल, GST का रिकॉर्ड या ऑनलाइन खरीदारी जैसी रोज़मर्रा की चीज़ों को भी देखेगा। इनसे वह समझ पाएगा कि आप पैसे समय पर चुकाने में भरोसेमंद हैं या नहीं और इसी आधार पर आपके लोन मिलने का मौका बढ़ जाएगा। इससे बैंक ऐसे नए ग्राहकों को भी शामिल कर पाएंगे जो पहले सिस्टम से बाहर थे।
कस्टमर सर्विस में अब AI चैटबॉट्स एक तरह का बदलाव ला रहे हैं। ये चैटबॉट्स दिन-रात, 24×7, ग्राहकों के साधारण सवालों और रूटीन काम को तुरंत हैंडल कर लेते हैं। इससे ग्राहकों को जवाब पाने के लिए लंबा इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा और उनका समय बचेगा। साथ ही बैंक का ह्यूमन स्टाफ प्रतिदिन के छोटे कामों से फ्री होकर ज़्यादा कठिन और ज़रूरी मामलों पर ध्यान दे पाएगा।
क्या होगा इसका आर्थिक असर?
RBI के मुताबिक आने वाले समय में जनरेटिव AI का आर्थिक असर बहुत बड़ा होगा। 2033 तक इसका मार्केट ₹1.02 लाख करोड़ से ज़्यादा पहुंचने की उम्मीद है, और यह हर साल लगभग 28–34% की तेज़ रफ्तार से बढ़ेगा।
कुल मिलाकर अगर जनरेटिव AI का सही और जिम्मेदारी से इस्तेमाल किया जाए, तो यह सबको शामिल करते हुए, भारत की बैंकिंग को ज़्यादा तेज़ और लाभदायक बना सकती है। इसका असर सिर्फ बैंकिंग के रोज़ के कामों पर ही नहीं, बल्कि पूरे फायनेंशियल सेक्टर की तरक्की पर भी पड़ेगा।
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