AI के दिन-ब-दिन बढ़ते हुए हुए दायरे को लेकर आए दिन सोशल मीडिया पर कोई ना कोई बहस छिड़ी रहती है। कोई इसे जॉब से खतरे का मुख्य कारण बताता है तो कोई इसके साथ आगे बढ़ने के विभिन्न तरीके समझाता हुआ नज़र आता है।
अब हाल ही में Infosys के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी ने AI के बढ़ते प्रभाव को लेकर एक बयान दिया है जिसमे उन्होंने कहा कि अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संपत्ति और शक्ति का केंद्रीकरण होना तो लगभग तय है। लेकिन इसके बावजूद समाज के द्वारा टेक्नोलॉजी को नकारात्मक नहीं बल्कि सकारात्मक दिशा में मोड़ना चाहिए।
AI को बनाइए समस्याओं का समाधान
नंदन नीलेकणी का मानना है कि भारत जैसे देशों में AI का मुख्य उद्देश्य शिक्षा को बेहतर करना, स्वास्थ्य से संबंधित तकनीक को बढ़ावा देना और भाषा जैसे क्षेत्रों में सुधार के लिए किया जाना चाहिए।
ग्लोबल AI लीडर की रेस को लेकर उन्होंने स्पष्ट किया कि AI से वैश्विक लीडर बनने की होड़ से बचना चाहिए। वही इसका इस्तेमाल आम जनता की ज़रूरतों को पूरा करने में होना चाहिए।
Universal Basic Income (UBI) का विरोध
नीलेकणी ने यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) को नकारते हुए कहा कि यह एक निराशाजनक विचार है। बल्कि हमे इंसानों की क्षमताओं को बढ़ाने और उन्हें अधिक सक्षम बनाने के लिए AI के उपयोग पर ध्यान देना चाहिए।

भारत ने UPI जैसे प्लेटफॉर्म बनाकर ये साबित कर दिया है कि सीमित संसाधनों में भी वैश्विक स्तर की टेक्नोलॉजी विकसित की जा सकती है। उनके अनुसार डिजिटल सिस्टम का डिज़ाइन साफ और सरल होना चाहिए और यही सबसे ज़रूरी है।
नीलेकणी ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि किसी भी तकनीकी समाधान को डिजाइन करते समय सरलता सबसे महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने बताया कि UPI सिस्टम का तकनीकी दस्तावेज सिर्फ एक पेज का था और वही आज इसकी सफलता का कारण बना।
AI को सिर्फ अमीरों और बड़ी कंपनियों की तकनीक न बनाकर, आम लोगों की ज़िंदगी आसान बनाने वाली तकनीक बनाना चाहिए। नंदन नीलेकणी के अनुसार अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का इस्तेमाल मानव जीवन की भलाई के लिए हो और न कि सिर्फ पैसे कमाने या ताकत बढ़ाने के लिए उपयोग होने वाले एक यंत्र के रूप में।
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