क्या कभी आपने सोचा है कि जब हम ChatGPT से कोई भी एक सवाल पूछते हैं तो वह कितना पावर कंज्यूम करता है? नहीं ना तो चलिए जानते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, इस सवाल को लेकर अमेरिका की रिपोर्ट ने ऐसा जवाब दिया।
जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे। जी हां, AI -ChatGPT को काम करने के लिए केवल बिजली ही नहीं बल्कि पानी की भी जरूरत होती है चौंक गए यह बात सच है। तो चलिए जानते है कैसे ?
कितना पानी गटकता है ChatGPT?
सूत्रों के अनुसार, Washington Post और University of California, Riverside की रिपोर्ट्स के अनुसार, जब ChatGPT से एक सवाल पूछा जाता है तब उस जवाब को तैयार करने के लिए लगभग 500 मिलीलीटर पानी की जरूरत पड़ती है।
जिसका मतलब साफ है कि -ChatGPT एक सवाल को तैयार करने के लिए आधा लीटर पानी गटक जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि पानी सीधा मशीन पीती है बल्कि AI को ठंडा रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
क्यों पड़ती है पानी की जरूरत ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि AI मॉडल ChatGPT को बड़े कंप्यूटर सर्वर पर चलाया जाता है। जिससे डाटा सेंटर भी कहा जाता है। यह सर्वर लगातार प्रोसेसिंग करते हैं। जिसके कारण यह बहुत जल्दी गर्म हो जाते हैं और आस-पास के स्थान को भी गर्म कर देते हैं।

तो इस गर्मी को कम करने के लिए इन डाटा सेंटर्स को ठंडा रखना बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण होता है। जिसके लिए पानी का प्रयोग किया जाता है। जिससे कि वह ठंडा रहे और गर्मी प्रदान ना करें।
आपको बता दें कि, इसमें दो तरह के सिस्टम पाए जाते हैं। पहला Evaporative Cooling Systems जो कि भाप बेस्ड कूलिंग सिस्टम है। वहीं दूसरा Air Conditioning Units जो कि AC बेस्ड सिस्टम है। इस प्रोसेसर में हर सवाल का जवाब तैयार करने के लिए लगभग आधा पानी लीटर की जरूरत होती है।
AI पर कितनी बिजली होती है खर्च ?
बता दें कि, चैट GPT यानी AI को चलाने के लिए पानी के साथ बिजली की भी काफी जरूरत होती है। एक रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है कि, Open AI और ChatGPT जितना ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है उतनी ही ज्यादा बिजली की मांग बढ़ती रहती है।
अगर करोड़ों लोग डेली चैट GPT का इस्तेमाल करें तो पूरे शहर जितनी बिजली की जरूरत पड़ सकती है। जिससे पर्यावरण पर भी काफी दबाव पड़ सकता है। खासकर उन देशों में जहां बिजली कोयला दूसरे रिसोर्सेज से बनती हैं।
AI करेगा पर्यावरण दूषित?
आप सभी को पता है कि AI धीरे-धीरे लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया है। यह टेक्नोलॉजी में भी काफी क्रांति ला रहा है। वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण के लिए भी कहीं ना कहीं खतरा बढ़ रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि, देश में बहुत ऐसे एरिया और जगह है। जहां पहले ही पानी की बहुत कमी है। वहां डाटा सेंटर की वजह से जल संकट पर खतरा मंडरा रहा है।
AI को चालू रखने के लिए लगातार बिजली की भी जरूरत होती है। जो एनर्जी सोर्सेस पर दबाव बना रहा है। सबसे बड़ा खतरा यह है कि अगर बिजली रिन्यूएबल सोर्स से न ली जाए तो कार्बन एमिशन बढ़ता है। उससे पर्यावरण भी दूषित होता है और आने वाले समय में यह सभी के लिए समस्या का जड़ बन जाएगा।
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