भारत में साइबर ठगी के नए तरीके लगातार सामने आ रहे हैं। इस बार मामला eSIM फ्रॉड से जुड़ा है। eSIM टेक्नोलॉजी ने मोबाइल यूज़र्स के लिए काफी सुविधाएँ पैदा की हैं। अब बिना फिजिकल SIM कार्ड के ही फोन इस्तेमाल किया जा सकता है। SIM बदलने की परेशानी कम हो गई है और नंबर पोर्टेबिलिटी भी आसान हो गई है।
लेकिन जहाँ एक तरफ यह टेक्नोलॉजी यूज़र्स को सुविधा देती है, वहीं दूसरी तरफ साइबर अपराधी इसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। फ्रॉडस्टर्स eSIM को एक ऐसा हथियार बना चुके हैं, जिसके जरिए वे लोगों के बैंक अकाउंट से लाखों रुपये मिनटों में गायब कर देते हैं।
भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C), जिसे गृह मंत्रालय ने 2020 में स्थापित किया था, ने नागरिकों को आगाह करते हुए बताया है कि ठग अब eSIM के ज़रिए लोगों के बैंक अकाउंट से पैसे चुराने लगे हैं।
हैरानी की बात यह है कि एक मामले में फ्रॉडस्टर्स ने पीड़ित का ATM और UPI दोनों ही बंद होने के बावजूद ₹4 लाख उड़ा लिए।
कैसे होता है यह फ्रॉड?
eSIM फ्रॉड की प्रक्रिया को आसान शब्दों में ऐसे समझा जा सकता है सबसे पहले धोखेबाज़ पीड़ित को फोन करके एक नकली eSIM एक्टिवेशन लिंक भेजते हैं। जैसे ही शिकार उस लिंक पर क्लिक करता है, उसका फिजिकल SIM अपने आप बंद हो जाता है और फोन पर नेटवर्क सिग्नल गायब हो जाते हैं।
यही वह पल होता है जब पीड़ित का मोबाइल नंबर ठगों के eSIM पर शिफ्ट हो जाता है। इसके बाद बैंक द्वारा भेजे जाने वाले सारे OTP और मैसेज सीधे फ्रॉडस्टर्स तक पहुंचने लगते हैं। जब उन्हें बैंक से OTP मिल जाता है, तो वे आराम से ऑनलाइन ट्रांज़ैक्शन कर लेते हैं और अकाउंट से बड़ी रकम निकाल लेते हैं।
14C ने दिए सेफ्टी टिप्स
ऐसे फ्रॉड से बचने के लिए यूज़र्स को सबसे पहले किसी भी अनजान कॉल या संदिग्ध लिंक से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि फ्रॉडस्टर्स इसी बहाने eSIM एक्टिवेशन का जाल बिछाते हैं। अगर आपको eSIM पर शिफ्ट होना है, तो इसकी रिक्वेस्ट खुद सीधे अपने टेलीकॉम ऑपरेटर के आधिकारिक चैनल से करें और किसी थर्ड पार्टी या अंजान नंबर पर बिल्कुल भरोसा न करें।

सबसे अहम बात, अगर अचानक आपके फोन का नेटवर्क सिग्नल गायब हो जाए या SIM काम करना बंद कर दे, तो इसे हल्के में न लें। तुरंत अपने बैंक और टेलीकॉम कंपनी से संपर्क करें, ताकि आपका नंबर और बैंक अकाउंट दोनों सुरक्षित रह सकें।
हालिया करवाई
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) ने हाल ही में Financial Fraud Risk Indicator (FRI) नाम का एक सिस्टम शुरू किया है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से काम करता है।
यह सिस्टम रोज़ाना लगभग 2,000 मोबाइल नंबरों की निगरानी करता है और उन्हें हाई-रिस्क कैटेगरी में फ्लैग करता है। इन नंबरों पर शक होता है कि इन्हें फ्रॉड, फिशिंग या किसी और तरह की अवैध गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसी के तहत, बीते दिनों DoT ने लगभग 3 से 4 लाख SIM कार्ड्स को ब्लैकलिस्ट किया है, क्योंकि ये SIM कार्ड कथित तौर पर फाइनेंशियल फ्रॉड, फर्जी जॉब ऑफर और इन्वेस्टमेंट स्कैम्स में इस्तेमाल हो रहे थे। ऐसे SIM कार्ड को ब्लैकलिस्ट करने के बाद उन पर कॉलिंग, मैसेजिंग और बैंकिंग से जुड़े OTP सर्विसेज बंद हो जाती हैं।
eSIM टेक्नोलॉजी सुविधा ज़रूर देती है, लेकिन साइबर अपराधी इसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि हम खुद भी जागरूक रहें और किसी भी संदिग्ध कॉल या लिंक पर भरोसा न करें।
I4C और DoT जैसे सरकारी संस्थान बार-बार नागरिकों को आगाह कर रहे हैं कि वे अनजान कॉल्स, लिंक और eSIM एक्टिवेशन से जुड़ी रिक्वेस्ट्स से बचें। क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही न सिर्फ मोबाइल सेवाओं को ठप कर सकती है, बल्कि आपके पूरे बैंक बैलेंस को भी खतरे में डाल सकती है।
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