Google ने Android यूज़र्स की सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब जो भी डेवलपर Play Store से बाहर ऐप्स यानी साइडलोडिंग के जरिए अपने ऐप्स शेयर करेंगे, उन्हें पहले Google की Developer Identity Verification प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
यह बदलाव सितंबर 2026 से लागू होगा और इसका सीधा असर उन यूज़र्स और डेवलपर्स पर पड़ेगा जो Play Store के बाहर ऐप्स इस्तेमाल या शेयर करते हैं।
क्या कहता है नया नियम?
Google ने कहा है कि सितंबर 2026 से अगर कोई डेवलपर Play Store से बाहर ऐप्स शेयर या पब्लिश करना चाहता है, तो उसे पहले अपनी आईडी या पहचान Google को देनी होगी और वेरिफाई करानी होगी। इसके लिए Google ने एक नया प्लेटफ़ॉर्म बनाया है जिसे Android Developer Console कहा जा रहा है, जहां डेवलपर्स अपनी डिटेल्स डालकर पहचान साबित करेंगे।
यानी आगे से बिना वेरिफिकेशन के ऐप्स को Play Store के बाहर इंस्टॉल या शेयर करना मुश्किल होगा।

टाइमलाइन
Google ने इस वेरिफिकेशन सिस्टम के लिए एक टाइमलाइन तय की है। इसका Early Access Program अक्टूबर 2025 से शुरू होगा, जिसमें चुनिंदा डेवलपर्स को सबसे पहले इस नए सिस्टम को आज़माने का मौका मिलेगा। इसके बाद मार्च 2026 से इसे विस्तारित रूप में लागू किया जाएगा, जिससे ज़्यादा डेवलपर्स इसमें शामिल हो पाएंगे। अंत में, सितंबर 2026 से यह Identity Verification सभी डेवलपर्स के लिए अनिवार्य कर दी जाएगी।
Google के अनुसार क्या होंगे फायदे?
Google का मानना है कि इस बदलाव से डेवलपर्स की जवाबदेही बढ़ेगी क्योंकि हर डेवलपर को अपनी असली पहचान बतानी होगी। इसका सीधा फायदा यूज़र्स को मिलेगा क्योंकि वे अब फ्रॉड और मालवेयर से सुरक्षित रहेंगे।
आगे चलकर केवल वही ऐप्स Android डिवाइस पर इंस्टॉल हो पाएंगे जो वेरिफाइड डेवलपर्स द्वारा बनाए गए हों। साथ ही, सिस्टम अपने आप अनवेरिफाइड ऐप्स को ब्लॉक करने में सक्षम होगा।
बदलाव का असर
इस नियम का सबसे बड़ा असर छोटे और नए डेवलपर्स पर पड़ेगा क्योंकि उन्हें भी अपना आईडी वेरिफिकेशन करवाना होगा। वहीं, यूज़र्स को अब Play Store के बाहर से भी ऐप्स इंस्टॉल करने पर एक सुरक्षित अनुभव मिलेगा। इसका मतलब है कि फेक ऐप्स और मालवेयर से भरे सॉफ़्टवेयर का खतरा यूज़र्स के लिए काफी हद तक कम हो जाएगा।
Google का यह कदम Android इकोसिस्टम को और सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने में मदद करेगा। हालांकि डेवलपर्स के लिए यह एक अतिरिक्त प्रक्रिया जरूर होगी लेकिन लंबे समय में इससे यूज़र्स का भरोसा और साइडलोडिंग ऐप्स की सुरक्षा दोनों ही मजबूत होंगी।
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