तकनीक लगातार बदल रही है, और Google ने इस बार ऐसा कदम उठाया है जो आने वाले समय में एंटरप्राइज और बिजनेस टेक्नोलॉजी की तस्वीर बदल सकता है।
कंपनी ने अपने नए टूल ‘Cameyo by Google’ को लॉन्च किया है, जो पुराने Windows और Linux ऐप्स को बिना इंस्टॉलेशन के Chrome ब्राउज़र में चलाने की सुविधा देता है। तो चलिए टूल से संबंधित पूरी जानकारी विस्तार से बताते हैं….
Cameyo क्या है?
Cameyo एक वर्चुअल ऐप डिलीवरी प्लेटफॉर्म है, जो legacy applications यानि पुराने सॉफ्टवेयर को Progressive Web App (PWA) या वेब-बेस्ड ऐप में बदल देता है।
इसका मतलब यह है कि जो सॉफ्टवेयर पहले सिर्फ Windows सिस्टम पर चलते थे, वे अब ChromeOS या Chrome ब्राउज़र के ज़रिए भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
Google का यह कदम उन संगठनों के लिए बेहद फायदेमंद है, जो अब भी अपने आईटी सिस्टम में पुराने डेस्कटॉप एप्लिकेशन चला रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे क्लाउड या वेब-बेस्ड वर्कस्पेस की ओर बढ़ना चाहते हैं।

यह कैसे काम करता है?
Cameyo आपके पुराने एप्लिकेशन को क्लाउड में रन करवाता है और उसे वर्चुअल रूप में ब्राउज़र तक पहुंचाता है।
यूज़र को सिर्फ एक लिंक या आइकन के ज़रिए वही ऐप ब्राउज़र में खुल जाता है, जैसे किसी वेबसाइट को ओपन किया जाता है।
इससे न तो किसी इंस्टॉलेशन की जरूरत होती है, न ही भारी वर्चुअल मशीनों या रिमोट डेस्कटॉप सिस्टम पर निर्भर रहना पड़ता है।
Cameyo के मुख्य फीचर्स
Legacy ऐप्स को वेब ऐप्स में बदलना:
पुराने Windows या Linux प्रोग्राम को PWA के रूप में कन्वर्ट करना।
ChromeOS और Chrome ब्राउज़र पर डायरेक्ट एक्सेस:
किसी अतिरिक्त सॉफ्टवेयर या सिस्टम की आवश्यकता नहीं।
Virtual Desktop Infrastructure (VDI) से मुक्त:
कंपनियों को अब महंगे वर्चुअल सेटअप की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सिक्योर और कंट्रोल्ड एक्सेस:
IT एडमिन ऐप्स की सुरक्षा और परमिशन आसानी से मैनेज कर सकते हैं।
क्लाउड परफॉर्मेंस:
ऐप्स तेज़ और रेस्पॉन्सिव तरीके से चलती हैं क्योंकि वे Google Cloud पर होस्ट होती हैं।
कंपनियों के लिए क्यों जरूरी है?
Google के मुताबिक, आज भी लगभग 50% से ज़्यादा एंटरप्राइज एप्लिकेशन लेगेसी क्लाइंट पर आधारित है, जो सिर्फ Windows या पुराने सिस्टम पर चल सकते हैं।
दूसरी तरफ, 90% आईटी लीडर्स अब वेब-बेस्ड ऐप्स की ओर बढ़ना चाहते हैं क्योंकि वे ज़्यादा स्केलेबल, सुरक्षित और आसान हैं। Cameyo इस गैप को खत्म करता है। पुराने ऐप्स को पूरी तरह से बदलने की जरूरत नहीं, बल्कि उन्हें वेब पर ट्रांसफर कर देना ही काफी है।
फायदेमंद क्यों है?
कम लागत:
अब हर यूज़र के लिए अलग वर्चुअल मशीन या सर्वर चलाने की जरूरत नहीं।
आसान मैनेजमेंट:
आईटी टीम बिना किसी जटिल सेटअप के ऐप्स को ब्राउज़र के जरिए उपलब्ध करा सकती है।
फ्लेक्सिबल :
ChromeOS, Chromebook, Mac, या Windows कहीं से भी ऐप चलाया जा सकता है।
सिक्योरिटी:
Google के क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर पर डेटा अधिक सुरक्षित रहता है।
एक उदाहरण से समझें
मान लीजिए किसी कंपनी के पास एक पुराना अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर है जो सिर्फ Windows सिस्टम पर चलता है।Cameyo की मदद से वही सॉफ्टवेयर अब Chrome ब्राउज़र में खुल सकता है बिना किसी इंस्टॉलेशन या Windows सर्वर के। यूज़र चाहे Chromebook पर हो या Mac पर हो उसे बस इंटरनेट और Chrome की जरूरत होगी।
कुछ सीमाएँ भी हैं
हालांकि Cameyo कई मायनों में क्रांतिकारी है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी है। सभी पुराने ऐप्स पूरी तरह संगत नहीं होंगे। इसके लिए स्थिर और तेज़ इंटरनेट कनेक्शन जरूरी है।डेटा प्राइवेसी और कंपनी पॉलिसीज़ के अनुसार क्लाउड पर होस्टिंग के नियमों की समीक्षा करनी होगी।
भविष्य की दिशा
Cameyo सिर्फ एक टूल नहीं, बल्कि Google का ChromeOS इकोसिस्टम को मजबूत करने का कदम भी है।
इससे कंपनियाँ Microsoft के Windows-आधारित सिस्टम से धीरे-धीरे वेब-बेस्ड प्लेटफॉर्म पर आ सकती हैं।
Google लंबे समय से क्लाउड फर्स्ट कंप्यूटिंग को बढ़ावा दे रहा है, और Cameyo उसी दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
मेरी राय
Google Cameyo से साफ़ है कि भविष्य का कामकाज अब डेस्कटॉप इंस्टॉलेशन नहीं, बल्कि ब्राउज़र-आधारित एक्सपीरियंस होगा। यह टूल पुराने और नए सिस्टम के बीच एक मजबूत पुल की तरह है, जो कंपनियों को डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की राह पर आगे बढ़ने में मदद करेगा।
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