आज‑कल ऑनलाइन मैसेजिंग एप्स में स्कैमर्स बहुत सक्रिय हो गए हैं। वे अक्सर चैट, कॉल या स्क्रीन शेयर के ज़रिए बैंकिंग से जुड़ी जानकारी, पासवर्ड, वेरिफिकेशन कोड जैसी संवेदनशील जानकारियाँ हथियाने की कोशिश करते हैं।
इस बीच, Meta Platforms जो WhatsApp और Messenger जैसी सेवाएँ चलाती है, उसने यूज़र सुरक्षा बढ़ाने के लिए कुछ नए अलर्ट सिस्टम्स लांच किए हैं। ये अलर्ट खास तौर पर यूज़र्स को स्कैम से किसी चेतावनियाँ देंगे, साथ ही सुझाव भी देंगे कि आगे क्या करना चाहिए।
उदाहरण के लिए, यदि आप अनजान व्यक्ति के साथ वीडियो कॉल के दौरान स्क्रीन शेयर करने वाले हैं, तो ऐप आपको चेतावनी दिखाएगा कि आप इस व्यक्ति पर भरोसा करें या नहीं; और यदि चैट में कुछ संदिग्ध संदेश मिलता है, तो ऐप स्कैम शायद होने का अनुमान लगाकर कार्रवाई के विकल्प देगा।
इस कदम से Meta यह बताना चाहती है कि सिर्फ टेक्नोलॉजी देना ही काफी नहीं है यूज़र एजुकेशन, अलर्ट सिस्टम और स्कैम डिस्कवरी टूल भी बहुत जरूरी हैं ताकि आम व्यक्ति मास‑स्कैमिंग के जाल में न फँसे।
स्कैम अलर्ट कैसे काम करेगा?
Meta ने कहा है कि WhatsApp में जब आप किसी अनजान व्यक्ति के साथ वीडियो कॉल के दौरान स्क्रीन शेयर करने वाले होंगे, तभी एक अलर्ट दिखेगा जिसमें लिखा होगा: ‘स्क्रीन केवल उन लोगों के साथ शेयर करें जिनपर आप भरोसा करते हैं। आप बैंकिंग जानकारी आदि साझा कर सकते हैं।’
Messenger में एक और फीचर अभी टेस्टिंग में है। अगर सिस्टम को कोई चैट संभावित स्कैम के रूप में दिखती है, तो यूज़र को चेतावनी मिलेगी और उसे ऑप्शन मिलेगा कि वह उस चैट का हिस्सा एक एआई स्कैम‑रिव्यू को भेज सके।

Meta ने ये भी कहा है कि वे इस तरह की स्कैम्स को पहले ही लाखों में डिसरप्ट कर चुके हैं। उदाहरण के लिए, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर म्यानेमार, लाओस, कंबोडिया और यूएई में मैसेजिंग, डेटिंग ऐप, क्रिप्टो आदि के माध्यम से करीब 8 मिलियन स्कैम्स को रोका गया।
इस तरह, नए अलर्ट से दो‑स्तरीय सुरक्षा मिल रही है। पहला यूज़र को तुरंत चेतावनी देना और दूसरा संदिग्ध चैट्स को आगे जांच के लिए भेजने का विकल्प देना।
यूज़र एजुकेशन और अवेयरनेस कैंपैन
Meta ने सिर्फ अलर्ट सिस्टम नहीं लाया है बल्कि यूज़र एजुकेशन पर भी जोर दिया है। उन्होंने भारत में कई कॉमेडी क्रिएटर्स के साथ मिलकर स्कैम अवेयरनेस कैंपैन चलाई है। जैसे टू‑फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल, ब्लॉक‑एंड‑रिपोर्ट फीचर का महत्व।
इसके अलावा, उन्होंने बताया कि Facebook पर कस्टमर सपोर्ट का दिखावा कर बनाए गए 21,000 से ज़्यादा पेज या अकाउंट्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है, जो लोगों को धोखा देने के लिए बनाए गए थे।
यह संकेत करता है कि Meta इस समस्या को गंभीरता से ले रही है। सिर्फ टेक्नोलॉजी बदलना ही ज़रूरी नहीं है बल्कि यूज़र का भरोसा बढ़ाना और उन्हें सजग बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
क्या हैं सीमाएँ और आगे की राह?
हालाँकि ये नए अलर्ट फीचर्स अच्छी पहल हैं, पर कुछ बातें ध्यान देने वाली हैं। Meta ने Messenger में नए स्कैम‑चैट डिटेक्शन सिस्टम के रोल‑आउट की टाइमलाइन नहीं दी है। इसका मतलब अभी यह हर यूज़र के लिए उपलब्ध नहीं है। स्क्रीन शेयर अलर्ट तो है, लेकिन स्कैमर्स बाकी तरीकों से भी ऐक्टिव हैं। जैसे लिंक भेजकर या फेक अकाउंट से संपर्क करके। इसलिए सिर्फ अलर्ट पर भरोसा करना पर्याप्त नहीं होगा।
यूज़र के लिए यह जानना होगा कि अलर्ट आने पर क्या करना चाहिए। यही एजुकेशन का अहम हिस्सा है। अलर्ट आने पर तुरंत अपने बैंकिंग ऐप बंद करें। पासवर्ड बदले और संदिग्ध अकाउंट को ब्लॉक करें। यही प्रभावी कदम हो सकते हैं।
इस तरह, ये फीचर्स सुरक्षा बढ़ाते हैं लेकिन पूरी सुरक्षा की गारंटी नहीं देते इसलिए यूज़र को भी अपने‑आप सतर्क रहना होगा।
मेरा विचार
मेरे हिसाब से, Meta का यह एक बहुत सकारात्मक कदम है। क्योंकि स्कैम्स अब सिर्फ बड़ी कंपनियों या बैंकिंग साइट्स तक सीमित नहीं रहे, बल्कि मैसेजिंग ऐप्स और सोशल प्लेटफॉर्म्स तक फैल चुके हैं।
अगर तुलना करें उदाहरण के लिए, कई बैंकिंग ऐप्स में पहले‑पहले अलर्ट हुआ करते थे ‘आपका अकाउंट लॉगइन किया गया है’ या ‘एक्स्ट्रा ट्रांजैक्शन हुआ है’। Meta ने इसी तरह का अलर्ट मैसेजिंग के संदर्भ में लाया है, जो समय के अनुसार है।
हालाँकि, इसके साथ यूज़र्स की जिम्मेदारी भी बड़ी हो जाती है। अलर्ट आने पर यूज़र को घबराना नहीं चाहिए बल्कि समझदारी से काम लेना चाहिए। जैसे लिंक क्लिक न करना, स्क्रीन शेयर न करना, संदिग्ध अकाउंट को रिपोर्ट करना।
आगे देखने वाली बात यह होगी कि Meta इस सिस्टम को कितनी जल्दी और कितने देशों में लागू करती है, और यूज़र इसकी जानकारी कितनी जल्दी ग्रहण करते हैं। अगर सफल हुआ, तो अन्य मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स को भी प्रेरणा मिलेगी। धीरे धीरे यह पूरी‑दुनिया में स्कैम्स के खिलाफ एक बड़ा कदम हो सकता है।
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