भारत की दूरसंचार मंत्रालय ने 28 नवंबर 2025 को निर्देश दिए हैं कि देश में बिकने वाले सभी नए स्मार्टफोन्स में Sanchar Saathi नामक सरकारी साइबर-सुरक्षा ऐप पहले से इंस्टॉल होगा। यूज़र इसे डिलीट या डिसेबल नहीं कर सकेंगे। यह आदेश उन कंपनियों पर लागू है जो स्मार्टफोन बनाती या बेचती हैं चाहे वो Apple हो, Samsung हो या युवा-ब्रांड जैसे Xiaomi, Vivo, Oppo आदि।
जिन फोन मॉडल्स का स्टॉक पहले से है यानि सप्लाए चेन में हैं, उन पर भी इस ऐप को सॉफ़्टवेयर अपडेट के माध्यम से भेजना होगा। कंपनियों को इस नए निर्देश का पालन करने के लिए 90 दिनों का समय दिया गया है।
Sanchar Saathi ऐप: यह है इसकी भूमिका और फीचर्स
Sanchar Saathi ऐप यूज़र को यह सुविधा देता है कि वे अपने फोन का IMEI नंबर, जो हर फोन के लिए एक यूनिक 14–17 अंकों का पहचान संख्या है, देख सकें जिससे यह पुष्टि की जा सके कि फोन असली है या चोरी/क्लोन नहीं है। अगर फोन खो जाए या चोरी हो जाए तो यूज़र इस ऐप की मदद से अपना फोन ब्लॉक करा सकते हैं, जिससे वह नेटवर्क से डिस्कनेक्ट हो जाएगा।
इसके अलावा, ऐप यूज़र को संदिग्ध कॉल्स या संदेशों स्पैम या स्कैम की रिपोर्ट करने, फर्जी कनेक्शन्स की जानकारी देने जैसी सुविधाएँ भी देता है। यह अब एक साइबर फ्रॉड-रोधी प्लेटफार्म भी है।
सरकार के दावों के मुताबिक, जनवरी 2025 से अब तक इस ऐप ने 700,000 से अधिक खोए/चोरी हुए फोन की रिकवरी में मदद की है और सिर्फ अक्टूबर 2025 में ही लगभग 50,000 फोन वापस पाए गए।
साथ ही, इस ऐप या इसके प्लेटफार्म की मदद से करोड़ों फर्जी या धोखाधड़ी वाले मोबाइल-कनेक्शन्स पर अंकुश लगने का दावा किया गया है, जिससे नेटवर्क सुरक्षा व उपयोगकर्ता सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
यूज़र और निर्माता – किसे होगा लाभ, किसे नुकसान?
Sanchar Saathi ऐप: यूज़र्स के लिए फायदे:
• फोन चोरी या खो जाने की स्थिति में IMEI ब्लॉक करने से डेटा व नेटवर्क दुरूपयोग का डर कम होगा।
• फर्जी/क्लोन फोन या अनधिकृत कनेक्शन्स का पता लगाना आसान हो जाएगा, जिससे आम उपभोक्ता ज्यादा सुरक्षित महसूस कर सकते हैं।
• स्पैम कॉल/मैसेज या साइबर फ्रॉड की रिपोर्टिंग के लिए एक विश्वसनीय, सरकारी प्लेटफार्म मिलेगा, जिससे सुरक्षा और विश्वसनीयता दोनों बढ़ सकती हैं।
Sanchar Saathi ऐप: चुनौतियाँ और चिंता के पहलू
ऐप अन-डिलीटेबल यानी यूज़र की पसंद पर रोक लगती है। कई लोग इसे अपनी निजी-स्वतंत्रता और प्राइवेसी के लिए समस्या मान सकते हैं। कुछ फोन निर्माता विशेषकर Apple जैसे का कहना है कि उनकी नीतियों में तीसरे पक्ष या सरकारी ऐप पहले से प्री-इंस्टॉल नहीं होने होते इसलिए वे विरोध या पुनर्विचार मांग सकते हैं।
अगर सरकार या निर्माता इस फैसले में पारदर्शिता न रखें यानि कि ऐप का संचालन, डेटा इस्तेमाल, उसकी सीमाएँ आदि स्पष्ट न हों तो यह डेटा-प्राइवेसी या निगरानी के मसले खड़े कर सकता है।
Sanchar Saathi ऐप: भारत में क्यों अहम है यह कदम?
भारत दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल बाजारों में से एक है, जहाँ 1.2 बिलियन से ज़्यादा मोबाइल सिम ग्राहक हैं। पिछले कुछ वर्षों में सब्सिडी, सस्ते फोन, ऑनलाइन लेन-देन और डिजिटल सेवाओं के बढ़ते प्रयोग के साथ साइबर फ्रॉड, फोन चोरी, फर्जी कनेक्शन, क्लोन फोन आदि की घटनाएँ बढ़ी हैं। ऐसे में एक केंद्रीकृत सरकारी ऐप, जो चोरी/फ्रॉड से निपटने में मदद करे, एक तर्कसंगत उपाय माना जा सकता है।

अगर यह ऐप ठीक तरह से काम करे तो इससे कम-कीमत या अनौपचारिक फोन-बाज़ार जिनमें अक्सर फर्जी/क्लोन फोन मिलते हैं, उसपर पर नियंत्रण हो सकता है।
मेरी राय – यह कदम कितना सकारात्मक है?
मेरे विचार से यह कदम साइबर सुरक्षा और फ्रॉड-रोधी पहल के रूप में काफ़ी ज़रूरी है, लेकिन इसके साथ यूज़र की प्राइवेसी, डेटा सुरक्षा, पारदर्शिता आदि पर भी पूरी तरह विचार होना चाहिए।
अगर सरकार और निर्माता यह सुनिश्चित करें कि Sanchar Saathi ऐप: केवल ज़रूरत के अनुरूप काम करे, डेटा सुरक्षित रहे, और यूज़र्स की अनुमति और हक़ सुरक्षित हों तो यह पहल भारत में मोबाइल-साइबर सुरक्षा को काफ़ी मजबूत बना सकती है।
लेकिन यदि ऐप को अन-डिलीटेबल बनाकर बेचा जाए, बिना यूज़र्स की सहमति और बिना स्पष्ट डेटा-उपयोग नीति
तो यह एक विवादास्पद कदम बन सकता है।
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