देश में साइबर फ्रॉड की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। लेकिन अब जल्द ही साइबर अपराधियों के लिए OTP हैक करना मुश्किल हो जाएगा। जी हां आप सही सुन रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि, भारतीय वैज्ञानिक संस्थान यानी IISc और हैदराबाद स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक नई टेक्नोलॉजी को तैयार कर दिया है, जो ओटीपी चोरी और साइबर ठगी को रोकने में काफी सहायता करेगा।
इसे लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक का इस्तेमाल शुरू हो जाने के बाद साइबर अपराध के मामलों में 2 से 3 गुना तक कमी देखने को मिल सकती है।
हैरानी की बात यह है कि, इस नई तकनीक को लेबोरेटरी लेवल पर सक्सेस्स्फुल्ली कर टेस्ट भी कर लिया गया है। बात दें कि, आने वाले समय में इसे बैंकों और मोबाइल नेटवर्क कंपनियों के सिस्टम में भी इंटीग्रेटेड किया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं इस नई तकनीक के बारे में विस्तार से…
पहले समझिए क्या है ये नई तकनीक?
दरअसल यह सिस्टम मौजूदा OTP ट्रांसमिशन में एक सिक्योरिटी की एक और परत जोड़ रहा है। वहीं, इस नई तकनीक के तहत ओटीपी को न सिर्फ एन्क्रिप्ट किया जाएगा, बल्कि इसे केवल रजिस्टर्ड डिवाइस पर ही खोला जा सकेगा। इससे हैकर्स के लिए किसी भी तरह से OTP को इंटरसेप्ट करना लगभग असंभव हो जाएगा।
OTP कैसे हो जाते हैं हैक?
बहुत से लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि, आखिर OTP कैसे हैक हो जाती है? तो आप सब की जानकारी के लिए बता दें कि, साइबर एक्सपर्ट इसे लेकर बताते हैं कि, कई बार यूजर फिशिंग लिंक या नकली ऐप्स के जरिए अपने डिवाइस में मैलवेयर डाउनलोड कर लेते हैं।

हैरानी की बात तो यह है कि, मैलवेयर से हैकर्स आसानी से आपकी OTP पढ़कर इस्तेमाल कर लेते हैं। देखा जाए तो कई बार यूजर अनजाने में खुद ही ओटीपी शेयर कर देते हैं। जिससे उनके साथ धोखाधड़ी हो जाती है। लेकिन जल्द ही, इस नई तकनीक के शुरू होने के बाद न सिर्फ बैंकिंग और पेमेंट फ्रॉड कम हो जाएंगे। बल्कि ई-कॉमर्स और मोबाइल ट्रांजैक्शन भी पहले की अपेक्षा अब ज्यादा सेफ रहेगा।
लेखक की राय
IISc और DRDO की यह नई OTP सिक्योरिटी तकनीक साइबर ठगी पर लगाम लगाने में बड़ा कदम साबित हो सकती है। रजिस्टर्ड डिवाइस पर ही ओटीपी खुलने की सुविधा हैकर्स के लिए बड़ा अवरोध बनेगी।
अगर यह सिस्टम बैंकों और मोबाइल नेटवर्क में लागू होता है, तो ऑनलाइन लेनदेन काफी सुरक्षित हो जाएंगे।
भारत में डिजिटल सुरक्षा के क्षेत्र में यह एक ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत हो सकती है।
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