TikTok क्या भारत में फिर से आएगा ? इस बात को लेकर बहुत लोग परेशान थे। तो अगर आप भी TikTok को लेकर थे उत्साहित तो यह खबर आपके लिए है। ऐसा इसलिए क्योंकि, अब केंद्र सरकार ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि, TikTok की नहीं होगी फिर से भारत में वापसी।
जी हां केंद्रीय आईटी, सूचना एवं प्रसारण और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि TikTok पर बैन हटाने का फिलहाल सरकार का कोई विचार नहीं है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
TikTo कि फिर से भारत वापसी?
मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने साफ कर दिया है कि इस मुद्दे पर सरकार ने कोई चर्चा नहीं की है। अभी तक किसी भी ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है कि TikTok को फिर से लाया जाए।
बीते महीने Airtel और Vodafone समेत कुछ ब्रॉडबैंड और मोबाइल नेटवर्क पर TikTok की वेबसाइट कुछ समय के लिए भारत में उपलब्ध हुई थी। जिसके कारण यह बात चारों ओर फैल गई कि भारत में फिर वापसी कर रहा है। लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं होने वाला है।
200 मिलियन लोग करते थे इसका उपयोग?
जानकारी के लिए बता दें कि, भारत में TikTok को जून 2020 में बैन कर दिया गया था। इसके पीछे का कारण राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी संबंधी चीजें थी। जिसका ध्यान में रखते हुए भारत में 59 चीनी ऐप्स को ब्लॉक कर दिया था। तभी से ये ऐप्स Apple App Store और Google Play Store से हटा दिया गया।

भारत में उस दौरान TikTok को सबसे ज्यादा क्रेज था। जिसमें करीब 200 मिलियन से ज्यादा लोगों ने इस प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे थे। ByteDance के अन्य प्रोडक्ट्स पर भी इसी तरह का प्रतिबंध लगाया गया था। TikTok के साथ-साथ Helo और CapCut जैसे ऐप्स को भी ब्लॉक कर दिया गया था।
चीनी कंपनियों को होता था फायदा ?
सूत्रों के अनुसार, जब इन एप्स पर प्रतिबंध नहीं लगा था। तब टेनसेंट, अलीबाबा, एंट फाइनेंशियल और शुनवेई कैपिटल जैसे चीनी कंपनियां भारतीय स्टार्टअप्स में सबसे बड़े स्तर पर निवेश कर रही थीं। उन्होंने ई-कॉमर्स, फिनटेक, फूड डिलीवरी, मोबिलिटी, डिजिटल कंटेंट और एजुकेशन टेक जैसे सेक्टरों में भारी निवेश किया था।
लेकिन 2020 में केंद्र सरकार द्वारा इसे बंद कर दिया गया। वहीं नई पॉलिसी में जिन देशों की भारत के साथ भूमि सीमा लगी हुई है, उनके निवेशकों के लिए पूर्व सरकारी अनुमोदन अनिवार्य किया गया। इसके चलते चीन का भारत में निवेश काफी कम हो गया और कई भारतीय स्टार्टअप्स को चीनी हिस्सेदारी कम करने या अन्य विकल्प खोजने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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