भारत में WhatsApp का इस्तेमाल सबसे ज़्यादा किया जाता है, लेकिन इसी प्लेटफॉर्म पर साइबर ठगी के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। इसी वजह से WhatsApp हर महीने औसतन 1 करोड़ से ज्यादा भारतीय मोबाइल नंबरों को बैन कर रहा है।
किन वजहों से WhatsApp अकाउंट बैन हो रहे हैं?
WhatsApp के मुताबिक बैन किए जा रहे अकाउंट्स में ज़्यादातर साइबर फ्रॉड और ऑनलाइन ठगी से जुड़े, फर्जी प्रोफाइल और नकली पहचान वाले, बल्क मैसेजिंग और स्पैम एक्टिविटी एयर फेक जॉब, लोन और इन्वेस्टमेंट स्कैम शामिल हैं।
इन गतिविधियों से आम यूज़र्स की सुरक्षा को खतरा होता है, इसलिए WhatsApp लगातार ऐसे नंबरों पर कार्रवाई कर रहा है।
सरकार ने WhatsApp से क्या मांग की?
भारत सरकार ने WhatsApp से कहा है कि वह बैन किए गए भारतीय नंबरों की सूची साझा करे। हालांकि सरकार ने यह साफ किया है कि वह यूज़र्स की निजी चैट या पर्सनल डिटेल्स नहीं मांग रही है।
सरकार को यह डेटा क्यों चाहिए?
सरकार के अनुसार, जब किसी ठग का WhatsApp अकाउंट बैन होता है, तो वह उसी नंबर से दूसरे मैसेजिंग ऐप्स पर एक्टिव हो जाता है, या नया फर्जी नंबर लेकर फिर से ठगी शुरू कर देता है। अगर बैन किए गए नंबरों की पहचान मिल जाए, तो पूरे साइबर फ्रॉड नेटवर्क को ट्रैक करना आसान हो सकता है।

WhatsApp पर कितनी गंभीर है साइबर ठगी की समस्या?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक:
• डिजिटल अरेस्ट और ऑनलाइन ठगी के करीब 95% मामले WhatsApp से जुड़े होते हैं।
• फर्जी सिम कार्ड के ज़रिए अकाउंट बनाकर ठग लोगों को निशाना बनाते हैं।
• एक बार ठगी हो जाने के बाद अपराधियों को पकड़ना मुश्किल हो जाता है।
WhatsApp का क्या कहना है?
WhatsApp का कहना है कि उसकी End-to-End Encryption पॉलिसी के कारण यूज़र डेटा शेयर करना आसान नहीं है।
कंपनी का दावा है कि वह यूज़र्स की प्राइवेसी से समझौता नहीं करना चाहती, लेकिन फिर भी सरकार के साथ सहयोग पर बातचीत चल रही है।
निष्कर्ष: सुरक्षा बनाम प्राइवेसी
एक तरफ सरकार साइबर अपराध रोकना चाहती है, वहीं दूसरी ओर WhatsApp यूज़र्स की प्राइवेसी को प्राथमिकता देता है।आने वाले समय में यह देखना होगा कि डिजिटल सुरक्षा और निजता के बीच संतुलन कैसे बनाया जाता है।
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