YouTube ने किशोरों के लिए एक बेहद ज़रूरी कदम उठाया है। प्लेटफ़ॉर्म ने ‘Mental Health and Wellbeing’ नाम से एक समर्पित वीडियो सेक्शन लॉन्च किया है, जिसमें डिप्रेशन, एंग्जायटी, ADHD और ईटिंग डिसऑर्डर जैसे मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों पर विश्वसनीय स्रोतों से तैयार कंटेंट मिलेगा। तो चलिए इस सुविधा से जुड़ी खास बाते जानते हैं….
इस नई सुविधा की खास बातें:
YouTube का नया ‘Mental Health and Wellbeing’ सेक्शन खास तौर पर किशोरों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस सेक्शन में उपलब्ध कंटेंट पूरी तरह ऐसा होगा जो फैक्ट्स पर आधारित होगा ताकि उन्हें सही और भरोसेमंद जानकारी मिल सके।
शुरुआती चरण में यह सुविधा अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, मेक्सिको, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया में शुरू की जा रही है। इस सेक्शन में डिप्रेशन, एंग्जायटी, ADHD और ईटिंग डिसऑर्डर्स जैसे विषयों पर विशेषज्ञों की चर्चाएँ शामिल होंगी। इसके लिए YouTube ने Jed Foundation, Child Mind Institute और National Alliance for Eating Disorders जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ साझेदारी की है।

इतना ही नहीं, ‘Mind Matters’ नामक नई सीरीज़ में YouTubers और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ मिलकर इन मुद्दों पर खुलकर बातचीत करेंगे, ताकि किशोर दर्शक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बातों को सहज और खुलकर समझ सकें।
नया सेक्शन किशोरों के लिए
YouTube ने बताया कि यह नया सेक्शन खासकर उन किशोरों के लिए बनाया गया है जो मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी खोजते हैं, लेकिन अक्सर उन्हें सोशल मीडिया पर सही और विश्वसनीय सामग्री नहीं मिलती।
अब यह नया वीडियो शेल्फ केवल से जुड़ी सामग्री विश्वसनीय स्रोतों से दिखाएगा। कंपनी की ओर से यह सुनिश्चित किया गया है कि हर वीडियो में वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित जानकारी हो और वह किशोरों के नजरिये से समझने में आसान हो।
YouTube ने कहा कि ये फीचर आने वाले कुछ हफ़्तों में पहले यूएस, यूके, कनाडा, मेक्सिको, फ्रांस, और ऑस्ट्रेलिया में लॉन्च होगा। भारत में इसके आगमन की तारीख अभी तय नहीं है, लेकिन यह धीरे-धीरे यहां भी उपलब्ध होगा।
लेखक की राय
YouTube का यह कदम बेहद सराहनीय है । खासकर उस दौर में जब सोशल मीडिया अक्सर मानसिक तनाव का कारण बनता है, अब वही प्लेटफ़ॉर्म उपचार और जागरूकता का माध्यम बनने की कोशिश कर रहा है।
अगर हम इसे Instagram या TikTok जैसे प्लेटफ़ॉर्म से तुलना करें, तो YouTube का यह कदम ज्यादा शिक्षाप्रद और जिम्मेदार लगता है।
भारत जैसे देश में, जहां किशोरों के बीच मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करना अब भी मुश्किल है, ऐसे फीचर्स एक बड़ी सामाजिक पहल साबित हो सकते हैं।
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